
लेखक :-अमन दीप वालिया
यशराज फिल्म्स के स्पाई यूनिवर्स का अगला बड़ा चैप्टर, War 2, आखिरकार रिलीज़ हो गया है। अयान मुखर्जी के निर्देशन में बनी यह हाई-ऑक्टेन एक्शन ड्रामा फिल्म बड़े पैमाने पर बनाई गई है, स्टार-कास्ट दमदार है और सिनेमैटिक विज़न इंटरनेशनल लेवल का है।
लेकिन क्या यह फिल्म उम्मीदों पर खरी उतरती है? आइए, हर पहलू पर नज़र डालते हैं।
*कहानी (Storyline)*
फिल्म भारत और एक दुश्मन देश के बीच गुप्त ऑपरेशन्स की कहानी है, जहां कबीर (ऋतिक रोशन) और एक साउथ इंडियन इंटेल ऑफिसर (जूनियर एनटीआर) एक खतरनाक मिशन पर निकलते हैं।
पॉलिटिकल इंट्रीग, धोखा और पर्सनल बलिदान की परतें कहानी में जुड़ी हैं।
पहला हाफ स्लो-बर्न सेटअप है, जो सेकंड हाफ में तेज़ी से खुलता है।
कहानी रोचक है, लेकिन कुछ प्रेडिक्टेबल ट्रोप्स और बेवजह के सबप्लॉट्स इसकी रफ्तार को थोड़ा धीमा कर देते हैं।
*अभिनय (Acting Performances)*
* *ऋतिक रोशन (कबीर)* – स्टाइलिश, करिश्माई और स्क्रीन पर अद्भुत पर्सनैलिटी। हर एक्शन सीन में अलग चमक लाते हैं, लेकिन कुछ इमोशनल सीन में गहराई थोड़ी कम लगती है।
* *जूनियर एनटीआर* – फिल्म की असली जान। स्क्रीन पर एनर्जी और इंटेंसिटी का कमाल बैलेंस। डायलॉग डिलीवरी और एक्सप्रेशन्स में रॉ ईमानदारी पर दिलो पर छाप छोड़ने में ज्यादा कामयाब नहीं हो पाई।
* *कियारा आडवाणी* – अपनी खूबसूरती और चार्म से फिल्म में ताज़गी लाती हैं, लेकिन उनके किरदार का दायरा सीमित है। उनके किरदार का उपयोग अच्छा नहीं किया गया।
* *अनिल कपूर* – अनुभव साफ झलकता है। हर सीन में मजबूत पकड़, लेकिन स्क्रीनप्ले ने उन्हें ज्यादा स्पेस नहीं दिया।
* *अशुतोष राणा* – कबीर के मेंटोर और रॉ चीफ़ के रूप में सशक्त उपस्थिति, डायलॉग में वज़न और पर्सनैलिटी में गहराई।
* *वरुण बडोला* – छोटे रोल में भी असरदार परफॉर्मेंस। कम स्क्रीन स्पेस में भी अभिनय दिखा गए।
*संगीत और बैकग्राउंड स्कोर (Music & BGM)*
गाने ठीक-ठाक हैं, कोई भी चार्टबस्टर नहीं।
लेकिन बैकग्राउंड स्कोर — खासकर एक्शन सीक्वेंस में — फिल्म का असली एड्रेनालिन पंप है।
स्पाई थीम म्यूज़िक आपके कानों में बस जाता है। कुछ लोगों को ये शोर लग सकता है। तो कुछ लोगों को मोटिवेट कर सकता है।
एक्शन सीक्वेंस विज़ुअली शानदार हैं।
VFX और CGI का काम अच्छा है पर ये यश राज प्रोडक्शन हाउस की सोय यूनिवर्स फिल्म है इसलिए और बेहतर हो सकता था । — चाहे हाई-स्पीड चेज़ हो या अंडरवॉटर कॉम्बैट।
लोकेशन का चुनाव भी फिल्म की ताकत है — यूरोप की गलियों से लेकर मिडल-ईस्ट के रेगिस्तानों तक विज़ुअल वेरायटी मिलती है।
अयान मुखर्जी ने स्केल और स्पेक्टेकल पर फोकस किया है, लेकिन स्क्रीनप्ले के ढीले छोर और असमान रफ्तार कहानी का असर कम कर देते हैं।
इमोशनल लेवल पर फिल्म उतनी असरदार नहीं बन पाती जितनी उम्मीद थी।
War 2 एक विज़ुअल ट्रीट है, जिसमें पावरफुल परफॉर्मेंस और सांस रोक देने वाला एक्शन है।
लेकिन कमजोर स्क्रीनप्ले और थोड़ी असमान कहानी इसे “ग्रेट” फिल्म बनने से रोक देती है।
War 2 – सिनेमाघरों में जंग, लेकिन दिलों में अधूरी